Wednesday 10 August 2016

Part 1

विकास . . विकास . . . .विकास!
यहीं एक नाम था जो भयानक जहरीले सर्प की भांति फूचिंग के मस्तिष्क मे रेंग रहा था, जो रह-रहकर उसके दिमाग से किसी हथोड़े की भांति टकरा रहा था । फूचिंग की आंखों से गहरी चिंता के भाव झलक रहे थे । रह-रहकर उसकी आंखों के सामने पंद्रह वर्ष के उस लड़के द्वारा फैलाई गई तबाही उभर गई । शैतान का भयानक रूप ।
प्रतिशोध की आग में जलता हुआ विकास ।
फूचिंग की आंखों के सामने फिंगोरा की लाश घूम गई ।
फिगोरा. . . टारर्च देने वाला भयानक हब्शी जल्लाद ॥. . .उसका अंत. .? उफ् . अच्छे-अच्छों की रूह फ़ना हो जाए ? हब्शी भेडिये भी दहल उठे, क्रूरता और कट्टरता स्वयं भयभीत होकर मुंह फेर ले ।
अभी तक भली प्रकार फूचिंग को यह दृश्य याद था, जब उसने उस कमरे में प्रवेश किया था, जिसमें विकास को कैद किया गया था ।
उस समय फूचिंग चकरा गया था, जब उसने कमरे मे होती हुई खून की वर्षा देखी ।
लहू की बारिश!
उसे सब कुछ याद था ।
विकास ने चीन का एक महत्वपूर्ण अड्डा समाप्त कर दिया था । उसके देखते-ही-देखते वहां भयानक तबाही फैल गई थी ।
जोरदार विस्फोट हुए थे । भयानक शोले लपलपाए थे ।
खौफ्नाक आग धधकी थी ।
पेट्रोल पर दौडती आग जब तक अड्डे मे रखी विस्फोटक सामग्री तक पहुची तब तक कानों के पर्दो को हिला देने वाले भयानक विस्फोट के साथ वह अड्डा उड़ गया ।
सब कुछ समाप्त हो गया ।
अड्डे में जितने भी जीवित अथवा मृत प्राणी थे, सब धधकती हुई ज्वाला में स्वाह हो गए ।
कीमती यंत्र नष्ट हो गए थे ।
सारा अड्डा खंडहर ने बदल गया था और वह खंडहर भी आग की लपटों में लिपटा हुआ था ।
सैनिकों ने विकास का पीछा भी किया था ।
भागता हुआ बिकास एक पिक्चर हाउस के समीप उसे मात दे गया था । उस पिक्चर हाउस के बाथरूमो में भी उसे देखा गया परंतु शेतान वहां भी नहीं मिला ।
हाल में ढूंढा, वहां भी नहीं!
उस सारी रात चीनी सैनिक समूचे पीकिंग की खाक छानते रहे किन्तु चीनी सरकार को इतना अधिक नुकसान पहुचाने बाला विकास गायब था ।
फूचिंग की दिमागी पेरेशनी और बढ़ गई थी ।
अब विकास के साथ उसके जहन में कुछ अन्य नाम भी उभर आए थे…बिज़य...अलफांसे...और महाबली टुम्बकटू...!
अब विकास के साथ उसके जहन में कुछ अन्य नाम भी उभर आए थे…बिज़य...अलफांसे...और महाबली टुम्बकटू...!
इन्हें सब बातों को मस्तिष्क में लिए वह तेजी के साथ एलर्ट हो रहा था ।
पच्चीस विशेष चीनी सैनिकों को तैयार होने का उसने आदेश दिया था । स्वयं भी तेजी से तैयार हो रहा था । उसके मजबूत जिस्म पर इस समय भयानक लड़ाकों जैसा लिबास था ।
जेब में भरी हुई गोलियां ।
होलस्टरों में रखे हुए रिवॉल्वर ।
सिर पर कैप । घुटनों तक जूते।
इस समय सुबह के चार बजे थे ।
यह बात सुबह अड्डा समाप्त होने से कुछ ही पल पूर्व उसके द्वारा बनाए गए डुप्लीकेट विकास ने विजय इत्यादि का पता बताया था ।
इस समय फूचिंग उसी अड्डे पर हमला करने जा रहा था । यह अभी तक सीक्रेट था । अभी यह ही हुआ था कि एक नाटे और गोल-मटोल, चीनी ने कमरे में प्रवेश किया और एक जोरदार सैल्यूट मारने के पश्चात् सावधान की स्थिति में अकड़कर खडा हो गया ।
"सब तेयार है?” फूचिंग ने प्रश्न किया ।
" यस कामरेड !' गोल-मटोल चीनी सैनिक बोला ।
“चलो ।" बढते हुए फूचिंग ने अपने लंबे कदम बढा दिए ।
कुछ समय पश्चात् तीन सैनिक-जीपें उस पते की ओर बढ रही थी ।
Vikas